उत्तर प्रदेश में रोजगार : आंकड़ों की जुबानी योगी अखिलेश और माया की कहानी !
1 min readउत्तर प्रदेश में रोजगार
उत्तर प्रदेश में रोजगार : आंकड़ों की जुबानी योगी अखिलेश और माया की कहानी !
यूपी में सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है योगिराज में रोजगार. भाजपा सरकारों (केंद्र हो राज्य ) की सबसे कमजोर कड़ी है रोजगार. पिछले 5 सालो में विपक्ष ने रोजगार के मुद्दे पर सबसे ज्यादा हमला किया है. लोकसभा चुनाव हो विधानसभा चुनाव रोजगार अब सबसे अहम् मुद्दा बन चूका है. उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी रोजगार और कानून व्यवस्था सबसे अहम् मुद्दा बना था. 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाया था. विपक्ष का आरोप है की पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी भाजपा के शासन में हुई है. कोरोना ने बेरोजगारी का विस्फोट कर दिया. उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 3 सालों में कितना रोजगार दिया है ?
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार पर बेरोजगारी बढ़ाने का आरोप लग रहा है. अगर सरकारी आंकड़ों में नज़र डाले तो पिछले 15 सालों में प्रदेश में हुई नियुक्तियों का खाका हैरान करने वाला है. अगर आधिकारिक आंकड़ों की माने तो पिछले 3 सालों में सपा और बसपा से ज्यादा नौकरियां योगी सरकार ने दी है. सबसे बड़ी हक़ीक़त ये है रोजगार को लेकर जो विपक्षी पार्टियां आज सवाल उठा रही है उन्होंने भी अपने शासन में रोजगार के मुद्दे पर धरातल पर कुछ खास नहीं किया. हाल ही में हुए बिहार चुनाव में भी रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा था, बावजूद विपक्ष के बजाय लोगों 15 साल के एनडीए गठबंधन को चुना. बिहार का रिजल्ट इस बात का इशारा था की अभी भी लोग विपक्ष के बातों पर भरोषा नहीं किया.
स्वरा भास्कर अनुभव सिन्हा पर योगी जी मेहरबान क्यों हुए ?
सरकारी आंकड़े बताते है की 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की सरकार ने कुल 2 .05 लाख युवाओं को सरकारी नौकड़ी दिया था. समाजवादी पार्टी से पहले 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार रही. अपने 5 साल के शासन में मायावती ने कुल 91 ,0000 सरकारी पदों पर नियुक्तियां की थी. उन्ही सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2017 से अब तक योगी आदित्यनाथ की सरकार लगभग 3 .06 लाख सरकारी पदों पर नियुक्ति की है. सत्ता में आने के बाद योगी ने सबसे पहले अपराध ख़त्म करने को लेकर कई ठोस कदम उठाए. अपराधियों को सजा दिलाने के लिए बिल पास किया. अपराध के बाद योगी के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश के युवाओं को रोजगार देना था. अपराध और बेरोजगारी दोनों मुद्दों को एक साथ काउंटर करने के उद्देश्य से योगी ने अकेले पुलिस विभाग में 1,37,253 युवाओं को स्थाई दिया।
पुलिस विभाग के अलावा 2017 से अब तक बेसिक शिक्षा विभाग में 69 ,000 , ऊर्जा विभाग में 853 पद और पुलिस में लगभग 16 ,500 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है. कुल मिलकर 86 ,482 पद अभी ऐसे है जिनकी भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूरी हो सकती है. योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों से खली पद और उसके भर्ती प्रक्रिया का खाका माँगा है. सभी विभाग के प्रमुखों को कहा गया है की अगले तीन महीने में खाली पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाए. गौरतलब है की उत्तर प्रदेश के सरकारी भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता रहा है. कई बार तो कोर्ट को भर्ती प्रक्रिया को रद्द तक करना पड़ा है.यूपी सरकार में 3 लाख से अधिक पदों पर हुई इन नियुक्तियों की सबसे बड़ी विशेषता रही, इनकी शुचितापूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया। हालाँकि जुगाड़ तंत्र के एक दो मामले योगी सरकार में भी सामने आ चुके है जिसके बाद सरकार ने त्वरित और सख्त कार्यवाई की है.
कोरोना काल में जब दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की हालत ख़राब है ऐसे समय में उत्तर प्रदेश में खाली पदों का भरना अपने आप में मिशाल है. हाल ही में कई खबरे आई है जिसमे संपन्न राज्य अपने कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दे पा रहे है. आज के समय में सरकारी नौकड़ी की घोषणा करना जितना आसान है उससे ज्यादा कठिन पारदर्शी रूप से भर्ती प्रक्रिया संपन्न करना है. कोरोना काल योगी आदित्यनाथ की सरकार मीडिया के निशाने पर रही. लेकिन योगी ने जिस तरह के कदम उठाए उसकी सराहना यूपी से गुजरने वाले यात्रियों ने खूब की. प्रदेश में लौटे मज़दूरों को कुशल बनाने के साथ साथ बड़ी मात्रा में मनरेगा के तहत उन्हें काम भी मिला. यूपी में मनरेगा के तहत 95.87 लाख लोगों को रोजगार और 23 .75 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया गया. इसके तहत 4,874.67 करोड़ रुपए के मानदेय का भुगतान किया गया, जो देश में सर्वाधिक है।
drive-to-fill-up-3-lakh