कुम्भलगढ़ किले का रहस्य : दुनिया की सबसे लम्बी दूसरी दीवार क्यों है खास ?
1 min readकुम्भलगढ़ किले का रहस्य
कुम्भलगढ़ किले का रहस्य : दुनिया की सबसे लम्बी दूसरी दीवार क्यों है खास ?
आज हम बताएँगे राजस्थान में स्थित कुम्भलगढ़ किले का रहस्य. इसका इतिहास जितना शानदार है अतीत उससे ज्यादा खूबसूरत है. राजस्थान के जयपुर से कुंभलगढ़ क़िले की दूरी क़रीब 350 किलोमीटर है. राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल कुम्बलगढ़ किला दुनिया की सबसे बड़ी दीवार से घिरी है. चीन की दीवार के बाद इसका नंबर आता है. यहाँ जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट एयरपोर्ट उदयपुर है जहाँ से इसकी दुरी 90 किलोमीटर है. इसे बनाने के पीछे का रहस्य काफी रोमांचकारी है. कब, किसने और क्यों इस विशाल दीवार का निर्माण किया गया ?
राजस्थान के राजसमंद जिले के उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित होने वाला कुंभलगढ़ किला राजस्थान के पांच पहाड़ी किलों में से एक है. 1,914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह किला अरावली की पर्वतमाला पर स्थित है जो तेरह पहाड़ी चोटियों से घिरा हुआ है. राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा मेवाड़ है. जंगल के बीच स्थित होने के कारन इसे वन्यजीव अभयारण्य में बदल दिया गया है। किले की दीवार 36 किलोमीटर लम्बी तथा 15 फीट चौड़ी है।
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कुम्भलगढ़ किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था जिसकी वजह से इसे कुम्भलगढ़ किला कहा जाता है. मेवाड़ के प्रसिद्ध शासक महाराणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी में करवाया था. इसकी चौड़ाई इतनी है की इसमें आठ घोड़े आराम से एक साथ चल सकते है. कुंभलगढ़ क़िला मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी है. क़िले के अंदर 360 मंदिर बने है जिनमे 300 मंदिर जैन धर्म के और बाकी हिंदू धर्म के हैं. इनमें परशुराम मंदिर, वेदी मंदिर, मम्मादेव मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर इत्यादि बहुत प्रसिद्द हैं. 578 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल में ‘जंगल सफ़ारी’ का लुत्फ़ उठा सकते हैं. कुंभलगढ़ के महल में मंदिरों के अलावा एक से बढ़कर एक भित्ति चित्र बने हैं. सूर्यास्त के बाद भी यह किला आकर्षक लगता है. सूर्यास्त के बाद यहां साउंड और लाइट शो के ज़रिये इस महल का इतिहास बताया जाता हैं. इसमें एक मर्दाना महल और दूसरा जनाना महल भी बना है.
इस किले का प्राचीन नाम मछिन्द्रपुर था, जबकि इतिहासकार साहिब हकीम ने इसे माहौर का नाम दिया था। कुछ लोगों का मानना है की किले का निर्माण मौर्य साम्राज्य के राजा सम्प्रति ने छठी शताब्दी में किया था। लेकिन आज जिस कुम्भलगढ़ किले को देखते है उसका निर्माण हिन्दू सिसोदिया राजपूतो ने करवाया और वही कुम्भ पर राज करते थे। इसे प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एरा मदन ने विकसित किया था । 1818 में सन्यासियों के समूह ने किले की सुरक्षा करने का निर्णय लिया था. बाद में किले में मेवाड़ के महाराणा ने कुछ बदलाव भी किये थे लेकिन वास्तविक किले का निर्माण महाराणा कुम्भ ने ही किया था।
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