दिल्ली – 2.5 एकड़ जमीन पर में रोहिंग्या ने किया अवैध कब्ज़ा ?
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दिल्ली का शाहीन बाग़ इलाका तो याद होगा, इस बार उसी इलाके में हुई है एक बड़ी घटना घाटी है जो शायद कोरोना की वजह से दब गई है. ये खबर उन्ही रोहिंग्या मुसलमानो से जुडी है जिनके लिए पिछले एक साल से देश में बवाल हो रहा था ? सबसे चौकाने वाली बात ये है की ये सब हो रहा है दिल्ली पुलिस के नाक के निचे, जो केंद्र सरकार के अधीन आती है. राजधानी का शाहीन बाग़ इलाका पिछले दिनों पूरी दुनिया में मीडिया के माध्यम से छाया रहा. पिछले साल भारत के संसद से नागरिकता कानून का संसोधन पास होने के बाद देश भर में हंगामा हुआ, देश का हंगामा शांत होने के बाद दिल्ली के शाहीन बाग़ में लगभग दो महीने तक धरना प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद दिल्ली दंगो के आग में झुलसी और करीब 50 लोगो की मौत हुई थी. नागरिकता कानून का विरोध करने वालो का दावा था की यह कानून एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजनशिप) का पहला चरण है. एनआरसी के तहत अवैध घुसपैठियों को देश से बहार निकले जाने का प्रस्ताव है. जिन रोहिंगिया के कारन दिल्ली समेत देश का कई हिस्सों में बवाल हुआ उन्ही रोहिंग्या मुसलमानों को देश की राजधानी में चुपके से बसाने का खेल चल रहा है. आरोप ये है की ये सब कुछ आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान के शह पर हो रहा है. इस घटना के आधार पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर आरोप लग रहे है की इसलिए उन्होंने दिल्ली से बिहार और यूपी के मजदूरों को भगाया ताकि दिल्ली में मौजूद रोहिंग्या को काम मिल सके और वो यहाँ पर आराम से रह सके.
दिल्ली इस बात का सटीक उदहारण है की पुरे देश में किस प्रकार से रोहिंग्या मुसलमान फैले हुए है. शाहीन बाग़ से सटे हुए इलाके मदनपुर खादर में श्मशान घाट के ठीक सामने एक नई बस्ती बसाई गई है. 17 मई 20 को दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है की बाकायदा इनलोगो को अमानतुल्लाह खान के देखरेख में बसाया गया है. जहाँ अवैध रूप से बिजली पानी भी मुहैया कराई जा रही है. तमाम सरकारी सुविधाओं के साथ लॉक डाउन में दिल्ली सरकार की तरफ से भरपूर राशन मुहैया करवाई जा रही है. जबकि इस बस्ती से सटे हुए लोगों का आरोप है उन्हें राशन के लिए तरसाया जा रहा है. देश की सुप्रीम कोर्ट ने जिन रोहिंग्या मुसलमानो को देश के लिए खतरा बताया था अगर एक सरकार की मदद से उनको बसाया जा रहा है तो अपने आप में यह कितना गंभीर मामला है इसे समझने की जरुरत नहीं है. अख़बार के उस रिपोर्ट में यह बताया गया है की यह सब दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है. सबसे चौकानी वाली खबर यह है की इनको उत्तर प्रदेश सरकार की 2.5 एकड़ जमीन पर रोहिंग्या मुसलमान अवैध कब्ज़ा कर लेते है और उत्तर प्रदेश सरकार को इसकी भनक तक नहीं लगती. जिस जमीन पर कब्ज़ा किया गया है वो उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की है जिसकी कीमत अरबों में है. अख़बार के रिपोर्टर का दावा है की स्थानीय सरिता विहार एसीपी ढाल सिंह ने मामले को गंभीर ना बताते हुए टाल दिया. अख़बार ने यह भी खुलासा किया है, रोहिंग्या मुसलमानो को अमानतुल्लाह खान ने अपने लेटर हेड के जरिये आधार कार्ड और वोटर कार्ड दोनों बनवाए है.
लेकिन सबसे गंभीर सवाल ये है इलाके में पहले से बसे रोहिंग्या मुसलमानो के खिलाफ दिल्ली बीजेपी की स्थानीय पार्षद से लेकर पूर्व सांसद महेश गिरी और वर्तमान सांसद गौतम गंभीर तक ने यूपी की योगी सरकार को लिखित में शिकायत दी है लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई. कालिंदी कुञ्ज थाने के एसएचओ संजय सिन्हा ये स्वीकार करते है की “हां यहाँ पर रोहिंग्या मुस्लमान रहते है लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई” उनका कहना है की ये उनके अधिकार क्षेत्र से बहार है. दिल्ली पुलिस के के डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने ये जरूर कहा की पुष्टि होने पर नियमानुसार कार्यवाई होगी. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी (हेडवर्क, खंड आगरा नहर ओखला) देवेंद्र ठाकुर ने माना है की रोहिंग्या मुसलमानो को हटाने के लिए योजना बनाकर लखनऊ भेजा गया है और गृहमंत्रालय को भी इससे अवगत कराया गया है. सरकार इस पर जल्द ही कोई कार्यवाई करेगी. अगर अख़बार की रिपोर्ट सही है तो सवाल केजरीवाल के साथ-साथ यूपी सरकार पर भी उठते है. दिल्ली पुलिस के रवैये का जवाब तो गृहमंत्री अमित शाह ही दे सकते है क्युकी दिल्ली पुलिस तो उनके अधीन आती है. दिल्ली से मजदूरों के पलायन के बाद संदेह गहरा हो जाता है की क्या इस बात में सच्चाई है की दिल्ली सरकार ने जान भूझकर मजदूरों को भेज दिया, ताकि इनलोगों को काम मिले और काम निकालने के चक्कर में कोई इनका विरोध भी ना कर पाए.