भक्त दिये जलाएंगे और चमचों के दिल जल रहे है कैसे ?
1 min readलॉकडाउन के ऐलान कि ठिन तीन-चार दिन बाद दिल्ली कि सड़कों पर प्रवासी मजदूरों के एकाएक हुए जमावड़े ने पीएम समेत तमाम देशवासियों कि निंद हराम कर दी. मोदी विरोधीयों को कोरोना काल मे मिली यह पहली सफलता थी, लॉकडाउन किसी भी तरह से फेल हो जाए इसके लिए उन्होने खुब मेहनत की. उनकी हफ्तों कि मेहनत गरिब प्रवासियों कि वजह से सफल हो चुकी थी, लेकिन तभी मोदी-योगी और नीतिश ने उनके किये कराए पर पानी फेर दिया. ऐसी भयावह स्थिती बनाने मे मोदी विरोधीयों को कई दिन लगे थे, झुठी खबरे प्लांट कि गई, अमेरिकन यूनिवर्सिटी के नाम पर फर्जी खबर बनाई गई कि भारत मे यह लॉकडाउन जुन-जुलाई तक चलने वाली है और अप्रैल के अंत और मई के पहले हफ्ते तक भारत मे कोराना मरिजों कि संख्या कम से कम 15 लाख हो जाएगी । ऐसी खबरों को प्लांट करके गरिब मजदूर तबके के अंदर डर बैठाया गया कि लॉकडाउन कम से कम तीन महिने तक रहेगी, जिसका नतिजा हुआ कि गरिब तबका घबरा गया और अपने घर जाने के लिए अलग-अलग राज्यों से पैदल ही निकल पड़ा. दिल्ली मे साजिश के तहत ऐसा माहौल बनाया गया कि यूपी बॉर्डर पर मेला लग गया, लेकिन मोदी योगी कि सुझबूझ ने वो मामला भी 24 घंटे मे निपटा दिया. सबको बसों मे बिठाकर उनके राज्य कि सिमा तक पहुंचाया गया और बिहार मे नीतिश कुमार ने बॉर्डर पर ही क्वारंटाईन सेंटर बना दिया. इस तरह चमचे पत्रकार बुद्धिजीवी जीति हुई बाजी हार गए.
कैसे गुलाम चमचो के दिल जल रहे है ?
कोरोना माहामारी के वजह से देश मे 21 दिनो के लॉकडाउन मे सफलता पूर्वक 9 दिन गुजर जाने के बाद पीएम ने तीसरी बार देश के नाम संबोधन जारी करते हुए देशवासियों से अपील कि कोरोना के अंधकार को प्रकाश से हराने कि जरुरत है. इसके लिए रविवार 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट तक घर के छत पर, बालकनी मे 9 मिनट तक दिया, मोमबती, मोबाईल या टॉर्च लाईट जलाकर देश कि एकता का संदेश देना है । पीएम के इस आव्हान के बाद उन गुलाम बुद्धिजीवियों और चमचे पत्रकारों के दिल जलने लगे है जो पिछले तीन दिनो से तबलीगी जमात के कुकृत्य का बचाव कर रहे थे । तीन दिनो से जमातियों के कुकर्मो पर पर्दा डालते हुए उनकि सांसे फुलने लगी थी ऐसे मे मोदी के इस ऐलान के बाद उनका दिल जलना स्वाभाविक था ।