भारत का सबसे बड़ा झूठा : बौद्धिक आतंकवाद के चैंपियन प्रशांत भूषण ?
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भारत का सबसे बड़ा झूठा : बौद्धिक आतंकवाद के चैंपियन है प्रशांत भूषण ?
भारत का सबसे बड़ा झूठा कौन है ? अगर ये सवाल आपके मन में दौड़ रहा है तो ये लेख आपके हर सवाल का जवाब देगा. इस देश में बौद्धिक आतंकवाद की जड़े कितनी गहरी है उसका एक नमूना प्रशांत भूषण को माना जा सकता है. प्रशांत भूषण भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है. उनका अब तक का करियर हमेशा विवादों से भरा रहा है. प्रशांत को पहली बार तब सुर्खियां मिली थी जब उन्होंने अरविन्द केजरीवाल के साथ मिलकर अरुण जेटली (भाजपा) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. प्रशांत एक बार अपनी एक ट्वीट की वजह से सुर्ख़ियों में है. उन्होंने एक ट्वीट करके भारत की तुलना में पाकिस्तान को ज्यादा सेक्युलर बताया है. क्या है उनके इस ट्वीट की सच्चाई जिसके बाद लोग उन्हें भारत का सबसे बड़ा झूठा कह रहे है ?
देश के जाने मने वरिष्ठ वकील और भूतपूर्व ‘आप’ के नेता प्रशांत भूषण फिलहाल स्वराज्य पार्टी से जुड़े हैं. आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव के साथ मिलकर उन्होंने इस पार्टी का गठन किया था. शायद वो स्वराज को खुद का राज़ समझकर कुछ भी बोलते लिखते रहते है और फिर बाद में माफ़ी मांग लेते है. इस साल सुप्रीम कोर्ट के सबसे प्रमुख जज के खिलाफ ट्वीट करके माफ़ी मांग चुके है. लेकिन ये ना तो पहला मामला है और शायद ना ही आखिरी होगा. अपने आदत के अनुसार एक बार फिर प्रशांत ने एक झूठी तुलनात्मक ट्वीट करते हुए पाकिस्तान को भारत से ज्यादा बेहतर बताने की कोशिश की है. हल ही में पाकिस्तान में एक हिन्दू मंदिर को कट्टरपंथी मुसलमानो ने ध्वस्त कर दिया था. इसकी तुलना मध्य प्रदेश में हुए एक मस्जिद पर हमले से की है. उन्होंने झूठ बोलते हुए लिखा है की पाकिस्तान में इस घटना के बाद 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन भारत में मस्जिद पर हमला करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई.
दरअसल यह तुलना बेहूदा झूठा और मुसलमानो को भड़काने वाला है. मध्य प्रदेश में जो घटना हुई उसमे मस्जिद को कोई नुकसान नहीं हुआ. ना ही इस घटना के बाद मुसलमानो पर रासुका लगा है. यह घटना प्रदेश में हुए पत्थरबाजी का रिएक्शन था जिसमे पुलिस 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. दरअसल श्रीरामजन्मभूमि निर्माण के लिए चंदा इकठ्ठा करने वाले जुलुस पर इंदौर और उज्जैन में मुस्लिम बहुल इलाकों में जबरदस्त पत्थरबाजी हुई. जिन लोगों ने रामभक्तों के जुलुस पर पत्थरबाजी की थी उनके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने रासुका लगाई. रासुका लगने के बाद उन घरों को भी ध्वस्त किया गया जहाँ से पत्थरबाजी हुई थी. इन तथ्यों को छोड़ भी दिया जाए तो भी पाकिस्तान की तुलना हिंदुस्तान ने कभी नहीं हो सकती. हिंदुस्तान में जब भी दंगे होते है तब मंदिर मस्जिद हिन्दू मुस्लिम दोनों को नुकसान होता है. जबकि पाकिस्तान में सिर्फ हिन्दुओं और मस्जिदों को नुकसान होता है.
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पहली बार वो सुर्ख़ियों में तब आये थे जब 2011 में उन्होंने स्व. अरुण जेटली के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. इसके बाद अरुण जेटली ने प्रशांत भूषण और तब के सामाजिक कार्यकर्त्ता अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ अदालत चले गए. नतीजा अरविन्द केजरीवाल को जेल जाना पड़ा, क्यूंकि उन्होंने अदालत द्वारा तय किये जमानत राशि को जमा करने से इंकार कर दिया. अरविन्द को यह सलाह उनके दोस्त प्रशांत भूषण ने दिया. 2015 में सीबीआई ने प्रशांत भूषन और इंदिरा जयसिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी. दरअसल 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में इन दोनों पर शपथ लेकर झूठ बोलने का आरोप लगा था. फ़रवरी 2019 में प्रशांत भूषण सार्वजनिक रूप से झूठ बोलकर माफ़ी भी मांग चुके है. ये मामला CBI के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति से जुड़ा था। दरअसल उनकी नियुक्ति को लेकर कमिटी की कार्यवाही को मनगढ़त बताया था. तब प्रशांत भूषण के खिलाफ के के वेणुगोपाल ने अवमानना याचिका दायर की जिसके बाद उन्हें अपने झूठ के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी थी. प्रशांत भूषण आदतन झूठे है, इसलिए उनकी झूठ की पाठशाला लगातार जारी है.फ़रवरी 2019 में पुलवामा हमले के मास्टरमिंग आमिल अहमद डार का पक्ष लेते हुए भारतीय सेना को ही कटघरे में खड़ा दिया. अलीम डार वही आतंकवादी था जिसने आरडीएक्स से भरी कार को सेना के वाहन से टक्कर मार दी थी। कश्मीर को आज़ाद करने का उनका मसूबा किसी से छिपा नहीं है. पाकिस्तान के हाँ में हाँ मिलाने के लिए कई बार उन्होंने कश्मीर को लेकर झूठी तस्वीरें भी शेयर की थी. सितम्बर 2017 में जिस तस्वीर को प्रशांत भूषण ने कश्मीर का बताकर शेयर किया था उसी तस्वीर को यूनाइटेड नेशन में पाकिस्तानी अधिकारी ने दिखाया था. जिसके बाद पाकिस्तान को पूरी दुनिया में शर्मशार होना पड़ा था.
कश्मीर के अलावे प्रशांत भूषण नक्सल प्रभावित इलाकों में भी जनमत संग्रह की मांग कर चुके है. उन्होंने कहा था की नक्सल वाले इलाकों में सेना लगाने से पहले वहां की जनता से राय लेना जरुरी है. उन्होंने यहाँ भी कश्मीर का उदहारण देते हुए कहा की बिना जनमत की राय लिए कश्मीर में सेना लगाने से वहां आतंकवाद और तनाव बढ़ा है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उनके एक कार्यक्रम में जबरदस्त बवाल हुआ था, आरोप लगा की प्रशांत भूषण ने उस सभा में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की थी. इसके बाद उन्हें वहां हिंसा का सामना भी करना पड़ा था. इसके अलावा प्रशांत के अलीगढ के एक कार्यक्रम में भी जबरदस्त हंगामा हुआ था. उस सभा में उन्होंने वन्दे मातरम और भारत माता की जय बोलने से इनकार कर दिया था. बवाल इतना बढ़ गया की पुलिस ने बड़ी मसक्कत के बाद उन्हें वहां से निकला.
इससे पहले वो आतंकी याकूब मेमन को फांसी देने के खिलाफ आधी रात को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तू के घर पहुंच गए थे. 2017 में जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एंटी रोमियों दल का गठन किया तब उन्होंने छेड़खानी करनेवालों की तुलना भगवन श्री कृष्णा से कर दी थी. दरअसल यह समस्या सिर्फ प्रशांत भूषण की नहीं है. इस देश की व्यवस्था में ऐसे कई प्रशांत भूषण है जो खुद को कानून से ऊपर समझते है. बौद्धिक आतंकवाद ने पिछले दशकों में भारत को पडोसी देशों से ज्यादा खोखला बनाया है. खुद सुप्रीम कोर्ट यह कह चूका है देश की न्याय व्यवस्था और न्यायलय के खिलाफ बोलना फैशन बन गया है. किसी बम फोड़ने और गोली चलने वाले आतंकियों से ज्यादा खतरनाक बौद्धिक आतंकवाद है. इनकी सोंच देश के युवाओं को व्यवस्था विरोध के नाम देश के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है जो सबसे ज्यादा खतरनाक है.