फ़िरोज़ गांधी फैक्ट : नेहरू पर भ्रष्टाचार का पहला आरोप उनके दामाद ने लगाया था.
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फ़िरोज़ गांधी फैक्ट : नेहरू सरकार पर भ्रष्टाचार का पहला आरोप उनके दामाद ने लगाया था.
फ़िरोज़ गाँधी को आप कितना जानते है ? सोशल मीडिया के माध्यम से आप जिस फ़िरोज़ गाँधी को जानते है उनका असली नाम फ़िरोज़ जहांगीर गंधी (गांधी नहीं) था. 12 सितंबर 1912 को एक पारसी परिवार में जन्मे फ़िरोज़ का परिवार गुजरात से आकर मुंबई (तब बंम्बई ) में बसे थे. गुजरात के भरुच के रहने वाले जहांगीर फरदून (फ़िरोज़ के पिता) एक मरीन इंजीनियर थे. उनकी मा रतिमाई सूरत की रहनेवाली थी. फ़िरोज़ गांधी की बात अक्सर बीजेपी और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग ही क्यों करते है ? ऐसा क्यों है की कांग्रेस पार्टी उन्हें खुद से दूर रखना चाहती है ?
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अपने ही सरकार पर भ्रष्टाचार का खुलासा किया !
फ़िरोज़ सिर्फ गांधी परिवार के दामाद ही नहीं कांग्रेस पार्टी के सांसद भी थे. दरअसल फ़िरोज़ भले ही कांग्रेस नेता रहे लेकिन पार्टी से उनकी कभी नहीं बनी. कई बार वो अपनी पार्टी के खिलाफ खुलकर बोलते थे. बात 1958 की है जब भरी संसद में उन्होंने नेहरू सरकार के भ्रस्टाचार का खुलासा किया. एक जीवन बिमा कंपनी के भ्रस्टाचार के खुलासे की वजह से तत्कालीन वित्तमंत्री कृष्णमचारी को इस्तीफा देना पड़ा. पंडित नेहरू पर पहली बार खुलकर कोई आरोप उनके अपने ही दामाद ने लगाया था. 1957 में वो दोबारा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद पहुंचे थे.
इंदिरा गांधी से पहली मुलाक़ात !
1930 में उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत इलाहाबाद से शुरू हुई. जिस कॉलेज में फ़िरोज़ पढ़ते थे उसी कॉलेज में एक दिन कांग्रेस के धरने में कमला नेहरू और इंदिरा गाँधी शामिल हुई, जहाँ पहली बार इंदिरा गाँधी से उनकी मुलाक़ात हुई. गर्मी की वजह से कमला नेहरू की तबियत बिगड़ने पर फ़िरोज़ गाँधी ने उनकी मदद की और उसके बाद वो गाँधी परिवार के करीब आये. तब पढाई छोड़कर वो आज़ादी के आंदोलन में शामिल हो गए. 19 महीने जेल में रहने के दौरान उन्होंने अपना बदलकर फ़िरोज़ “गंधी” से फ़िरोज़ गांधी रख लिया.
इंदिरा फ़िरोज़ की शादी और दूरियां ! फ़िरोज़ गांधी फैक्ट
1933 में जब पहली बार फ़िरोज़ ने इंदिरा गांधी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तब उनकी मा ने इंदिरा के उम्र (16 साल) का हवाला देकर मना कर दिया. उसके बावजूद वो कमला नेहरू के देहांत के तक उनके करीब रहे. उनके निधन के बाद फ़िरोज़ और इंदिरा गांधी ने 1942 में शादी कर ली. ऐसा कहा जाता है की नेहरू शादी के खिलाफ थे और इंदिरा गांधी को समझने के लिए महात्मा गांधी से आग्रह किया था. राजीव और संजय गांधी के जन्म के बाद वो इलाहाबाद में रहे और द नेशनल हेराल्ड के प्रबंध निदेशक बने. भारत के पहले आम चुनाव (1952 ) में फ़िरोज़ उत्तर प्रदेश के रायबरेली से संसद बने और परिवार दिल्ली आ गया.
फ़िरोज़ का खुलासा और एलआईसी का जन्म !
इस दौरान फ़िरोज़ और इंदिरा के बीच अनबन की चर्चा भी रही लेकिन इंदिरा गांधी ने उनके चुनाव का प्रचार खुद करके इस खबर पर विराम लगा दिया. दरअसल फ़िरोज़ की पहचान एक असरदार नेता के रूप में होने लगी, अपनी ही सरकार के नीतियों के खिलाफ वो जमकर आवाज़ उठाते रहे. 1955 में संसद में उन्होंने नेहरू सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा किया. उद्योगपति रामकिशन डालमिया एक जीवन बिमा कंपनी के जरिये भ्रष्टाचार कर रहे थे. फ़िरोज़ के इस खुलासे ने सरकार को हिला दिया, जिसका नतीजा हुआ की रामकिशन डालमिया ने कई महीने जेल में बिताए. फ़िरोज़ के इस खुलासे का असर था की अगले साल 245 बिमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके LIC (एलआईसी ) बनाई गई.
आखिरी समय में परिवार से दूर रहे फ़िरोज़. फ़िरोज़ गांधी फैक्ट
टाटा जैसी कंपनी के लिए बोलकर वो राष्ट्रीय स्तर के नेता बन चुके थे, हालाँकि पारसी समुदाय उनसे नाराज़ हो गया. इस खुलासे ने उन्हें अपने परिवार से भी दूर कर दिया. इंदिरा गांधी अपने दोनों बच्चों राजीव और संजय गांधी से साथ प्रधानमंत्री निवास में रहती थी. 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
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